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कर्ण पिशाचिनी या उर्वशी- एक सच्ची कहानी Part-4

 Crazyhorrormint फिर से लेकर आया है एक सच्ची कहानी जो कि एक कर्ण पिशाचनी पर आधारित अगर आपने हमारी पिछली कहानी कर्ण पिशाचिनी या उर्वशी- एक सच्ची कहानी Part-3 को पढ़ा होगा तो आपको कर्ण पिशाचनी के बारे मे अवश्य पता चला गया होगा आज के इस कहानी के भाग मे पढ़े कि कैसे उर्वशी के बारे मे कुछ रहसमयी तथ्य का पता चलता है

                                           

अब आगे----

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कर्णिका अब दया सिंह का ख्याल अच्छे से रख रखी थी समय समय पर उसे दवाईया दे रही थी। जिसके कारण दया कर्णिका की तरफ आर्कसित हो रहे थे और कर्णिका भी दया को पंसद करने लगी थी। दया और कर्णिका दिन भर एक दुसरे से बातें करने लगे दया कर्णिका की सारी पसन्द और ना पंसद को जान चुके थे। कर्णिका भी दया को अच्छे जान चुकी थी दया सोचते हैं कि क्यु ना साधु से इस बारे में बात कर ली जाए कि कर्णिका मुझे बहुत पंसद है पर उसके लिए कर्णिका की पंसद जानना बहुत अधिक जरूरी थी।

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दया सिंह सांम को कर्णिका के पास जाते हैं जो उस समय रसोई मे खाना बना रही थी दया सिंह उसके पास जाकर बैठ गये और थोड़ी देर चुप रहने के बाद कर्णिका को बोला

कर्णिका मै अब पूरी तरह से ठीक हो चुका हु और कल मै फिर से अपने क्वाटर पर चले जाऊंगा पर उससे पहले मै तुम्हे कुछ बताना चाहता हूं कर्णिका दया की तरफ उत्सुकता से देखती है दया कर्णिका से कहते हैं कि अगर तुमने और तुम्हारे पिता ने अगर मेरी जान नही बचाई होती तो शायद मैं आज जिंदा नही होता तुम्हे मै इसके लिए धन्यवाद कहता हुँ पर उसके अलावा मै तुम्हे कुछ और भी बताना चाहता हूं कर्णिका मै तुम्हे बहुत पसन्द करता हूं जब से तुम्हे देखा है बस तुम्हारे बारे में ही सोचता हूं मै तुम्हे अंदर ही अंदर चाहने लगा हूं और कल मै तुम्हारे घर से चला जाऊगा पर जाने से पहले मैंने सोचा कि तुम्हे यह सब बता दू अगर तुम भी अपना जवाब मुझे जल्दी ही बता देना इतना कह कर दया वहाँ से चले जाते हैं तभी साधु आते हैं और दया को खाने के लिए बुलाते हैं जब साधु और दया दोनो खाना खा रहे थे तभी दया साधु को धन्यवाद कहते हैं और उनके घर से जाने के लिए आदेश मांगते हैं तभी साधु कहते हैं कि ठीक है कल तुम चले जाना पर जाने से पहले मै तुम्हे कुछ देना चाहता हूं जिसे तुम्हे लेकर जाना होगा। साधु कहते हैं बेटा अब मै भी बुढ़ा हो चुका हूँ। पता नहीं मेरा आखिरी समय कब जाए मुझे नही पता इसलिए मै अपनी एक बडी जिम्मेदारी को तुम्हे देना चाहता हूं और तुम भी एक अच्छे इंसान हो इसलिए मुझे पुरा भरोसा है कि तुम इसे जरूर पुरी करोगे

दया साधु से पुछता है कैसी जिम्मेदारी बाबा।

साधु कहते हैं कि मेरी बेटी कर्णिका वह अब शादी लायक हो चुकी है परन्तु मुझे बहुत समय से कोई अच्छा व्यकित नही मिल रहा था परन्तु जब से तुम यहाँ आये मेरी बेटी तुम्हारे साथ बहुत खुश है। तुम मेरी बेटी के लिए बहुत अच्छे वर हो तो मै चाह्ता हूँ कि तुम इससे शादी कर लो।

दया साधु की इन बातों को सुनकर बिलकुल हैरान थे। उन्हें लग रहा था जैसे कोई सपना सच हो गया था दया कर्णिका को देखते है तभी कर्णिका दया की आँखो मे देखती है और ऑखो से हामी भरते हुए अपने कमरे मे चली गई

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दया भी मुस्कुराते हुए अपने खटिया पर लेट गए और कब कर्णिका के बारे में सोचते हुए उनकी आँख लग गई जब वह सुबह उठे तो देखा कर्णिका उनके पास बैठी थी और वह उन्ही के उठने का इंतजार कर रही थी जब दया ने कर्णिका से पुछा कि तुम कब से यहा पर हो तो कर्णिका ने जवाब दिया बस अभी ही आई थी कर्णिका ने दया की आंखो में देख कर बोला मुझे भी आप पसंद है और यह बात मै आपको कल बताना चाहती थी पर उससे पहले ही आपने बोल दिया।

दया थोड़ी देर तक कर्णिका के ऑखो मे देखते रहे और उससे बाते करते हुए बोले कर्णिका अब मै जा रहा हूं तुम अपना ध्यान रखना यह बोलकर दया दरवाजे से निकल कर घर के बाहर गए और कर्णिका भी दया के पीछे घर से बाहर निकल आई

दया ने पीछे मुड़कर देखा तो कर्णिका दया को हसते हुए विदा कर रही थी तभी कर्णिका ने दया से कहा आप यहा आते रहना तभी सिफल मोटर साइकिल लेकर वहाँ पहुंचे और दया को देखकर खुश हो गए दया सिफल के साथ मोटर साइकिल पर सवार होकर अपने कार्यालय पहुंचे सभी लोग दया को फिर से अपने कार्यालय में देख कर खुश हो गए

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दया अपने काम में जुट गए और करीब 2 घण्टे बाद भुवन कार्यालय आया और दया को जिंदा देख कर आग बबुला हो गया और दया के पास आकर उसके कान मे बोला तुमने यह अच्छा नही किया तुम और तुम्हारी टीम ने मिलकर मेरे सभी लोगों को मार दिया पर तुम जिंदा रह गए।

दया हैरान होकर सुन रहे थे तभी उन्हें ख्याल आया कि वह तो जंगल में बेहोश हो गए थे जब किसी ने उनके सिर पर बंदुक के पिछले हिस्से से मारकर बेहोश कर दिया था।

तभी सिफल उन दोनों के पास आते हैं और भुवन को चेतावनी देकर कहते हैं कि बहुत जल्द ही तुम जेल के अंदर मिलोगे भुवन क्युकि हमारे पास अब तुम्हारे घर की तलाशी लेने का आदेश चुका है और अब तुम्हे कानून से कोई भी नही बचाएगा

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भुवन वहा से चला गया तब सिफल ने दया से पुछा कि तुम जहा बेहोश थे वहां पर 5 लोगो की लाश मिली थी क्या उन सभी को तुमने इतनी बुरी तरह से मारा था।

दया सिफल को कहते है चलो चाय पीते हैं और बाहर कार्यालय के पास एक चाय की टपरी पर चाय पीते हुए सिफल को बताते हैं कि उन लोगो को मैंने नही मारा बल्की किसी कर्ण पिशाचनी ने मारा है।

सिफल ने कहा यह कैसे हो सकता है मुझे इन सभी चीजों पर कोई विशवास नहीं है अगर किसी कर्ण पिशाचनी ने भुवन के लोगो को मारा है तो उसने तुमहे क्यु जिंदा छोड़ दिया?

यह बात सुनकर दया सुन हो गये और मन ही मन सोचने लगे कि सिफल की यह बात तो सही है कि उसने मुझे क्यु छोड़ दिया वह मुझे भी मार सकती थी। अब दया को जवाब चाहिए था

दया ने अपनी चाय खत्म की और अपने कार्यवाही में लग गए तभी कोई व्यक्ति कार्यलय मे आकर यह यह सूचना देता है कि आज रात भुवन के घर पर बहुत सारी नकली शराब और लकडियों की तसकरी की जाने वाली है। और यह सूचना देकर वह व्यक्ति वहां से चला गया

दया ने यह योजना बनाई कि आज की रात करीब 1 बजे वन अधिकारी और सभी गार्ड भुवन के घर की निगरानी करेंगे और तलाशी लेगे

साम को अंधेरा होने के बाद दया और सिफल भुवन के घर पर पहुंचे और बाहर से नजर रखने लगे अचानक कुछ देर बाद एक बड़ी सी ट्रक आकर भुवन के घर पर रुकी तथा कुछ लोग उतरे और घर के अंदर घुसे और सारी लकडियो और शराब को भर कर वापस जाने लगे तभी थोडी दूरी पर पहुंचने पर सिफल और कुछ गार्डस ने ट्रक को घेर लिया और ट्रक को जप्त कर लिया और इधर दया भुवन के घर में छुप छुप अंदर दाखिल हुए और घर की तलाशी लेना शुरू कर दिया पर वह अंदर का नजारा देख कर हैरान हो गए उन्होने घर के अंदर एक आदमी को देखा जो किसी जंजीर से बंधा हुआ था और एक भयावह स्त्री अपने दातो से उसके शरीर को काट कार खा रही थी दया ने अपनी बंदुक निकाली और उसकी तरफ तान कर आगे बढ़ने लगे तभी उस स्त्री  ने हसते हुए दया की तरफ देखा

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दया स्तब्ध होकर अपनी जगह पर रुक गये उस स्त्री को देखकर दया की इच्छा नही हुई कि वह एक कदम भी आगे रखे दया बस उसे देख रहे थे जिसके मुह से सिर्फ खुन बह रहा था जिसे उस भयानक स्त्री ने पिया था। वह स्त्री दया के सामने दीवारो पर चलती हुई एक दुसरे कमरे मे गई दया उसके भयानक रूप को देखकर समझ गए कि यहीं कर्ण पिशाचिनी है जिसके बडे लम्बे घुंघराले बाल है और जिसका रुप एक राक्षसी जैसा है जो अपने दातो को गड़ाकर लोगो का खुन पीती है और फिर अपनी पंसदीदा इच्छाओं से लोगो का शिकार करती है

तभी उस कमरे से कुछ लोगों के चिल्लाने की आवाज आई जिसे सुनकर सिफल और सभी गार्ड घर मे गए और दया को सामने देखकर पुछा कि घर मे क्या हुआ है दया ने सब को बताया कि यह वही जीव है जिसने सबको मारा है। सभी लोग तुरंत उस कमरे मे घुसे और देखा की उस स्त्री ने दो किशोर लड़को को चाकु  से घोप घोप मार रही थी और एक महिला बेड के पास बैठ कर चिल्ला चिल्ला कर रो रही है सभी लोग इस दृश्य को देखकर दंग हो गए तभी एक गार्ड ने उस स्त्री को रुकने के लिए कहा पर उस स्त्री पर कोई भी प्रभाव नही हुआ तभी वह भयावह स्त्री ने अपना रुप बदल लिया और भुवन बन कर एक आदमी की आवाज मे बोली सभी लोग चले जाओं वरना मैं तुम सब को भी मार दुगी और यह बोलकर उसने अपने हाथ को झटक दिया उसके हाथ झटकते ही सभी लोग हवा मे उड़कर दिवार से टकरा गये सभी गार्ड को गंभीर चोट लगी परन्तु दया को कुछ भी नही हुआ

तभी वो भुवन के रूप मे स्त्री ने एक किशोर लड़के को पड़का और उसे घसीटते हुए खिड़की से बाहर लेकर चली गई

दया उस कर्ण पिशाचनी के पीछे भागकर खिडकी पर गए तभी उन्होंने देखा कि नीचे वह किशोर लड़का जमीन पर पड़ा हुआ है और उसके शरीर से बहुत अत्यिधक खुन बह रहा है तभी दया ने सभी को नीचे जाने को कहा और खुद भी नीचे की तरफ भागे

जब सभी लोग नीचे पहुंचे तो देखा कि वह किशोर लड़का पुरी तरह से मरा चुका है पूरी जमीन उसके खुन से लाल हो गई है और  वह कर्ण पिशाचनी जिसने भुवन का रुप लिया था वह गायब है

सभी लोग हैरान हो कर एक दुसरे को देख रहे थे पर किसी की समक्ष मे कुछ भी नहीं रहा था सभी लोग घबरा गये थे क्युकि उनमें से किसी ने भी यह चीज पहले कभी नहीं देखी थी तभी उस घर के बहुत सारे लोग वहाँ पर जमा हो गए और पुरे घर मे मातम छा गया और पुरा घर रोने की आवाज से गूंज उठा तभी एक गाडी घर के बाहर के दरवाजे पर आकर रुकी और उसमें से तीन लोग घर में दाखिल हुए जिसमें से पहला व्यक्ति भुवन था और उसका भाई और एक अन्य व्यक्ति जोकि भुवन का मुंशी था।

सभी लोग भुवन को देखकर पीछे हटने लगे तभी भुवन ने अपने मरे हुए छोटे लड़के को देखा और स्तब्ध रह गया

कुछ देर बाद भुवन भी रोने लगा तब सारे आफिसर और गार्ड समझ गये कि यह असली भुवन है

तभी वह महिला आई जो ऊपर के कमरे मे रो रही थी और आकर भुवन से लग कर रोने लगी और अपने बड़े लड़के के मौत की खबर भी भुवन को दे दिया ' भुवन गुस्से से भर गया था और पागलों की तरह चिल्लाने लगा और पुछा कौन था वो जिसने मेरे बच्चों को मारा है और मेरे छोटे भाई को भी मारा है बताओं मुझे ?

भुवन दया के पास आया और दया से पुछा कि किसने मेरे भाई और मेरे बेटो को मारा है बताओ मुझे

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दया ने भुवन को बताया कि हमें खबर मिली थी की तुम्हारे घर पर आज रात को शराब और लकड़ियों की तश्करी की जा रही है जो कि सच थी तुम्हारे ट्रक को हमने जब्त कर लिया है पर हमे यह नहीं पता था कि तुम्हारे घर पे कोई बुरी आत्मा भी है जिसने तुम्हारे भाई और दोनो बेटो की इतनी बुरी तरह से हत्या कर दी।

भुवन को इस बात पर विशवास नहीं होता और वह पागलो की तरह चिल्लाता हुआ अपने परिवार के दुख मे रो रहा था

दया ने अपनी पूरी टीम को वहा से चलने के लिए बोला और सभी लोग गाड़ी में बैठ कर कार्यालय गए

सिफल ने दया से पुछा कि यह कैसे संभव है कि कोई स्त्री किसी इंसान को मारकर उसके खुन को पी रही थी मुसे तो अभी भी उस दृश्य पर विशवास नही हो रहा

दया सिफल से कहते हैं कि यह एक बहुत बड़ी शक्ति है जिससे जीतना आसान नही है यह सभी भुत प्रेत पिशाचों को अपने वश में रखती है और भुवन ने बहुत लोगो को मारा है पत्ता नही किसकी आतमा उससे बदला लेना चाहती है पर अगर वह आत्मा अब जीद पर है तो वह भुवन का सर्वनाश कर देगी।

अगले दिन कर्णिका भुवन से मिलने उनके घर पर आई कर्णिका को देख कर दया खुश हो गए और कर्णिका से बाते कर रहे थे कि तभी दया ने उसके पिता साधु के बारे मे पुछा कि क्या तुम्हे कर्ण पिशाचनी के बारे में पता है जो तुम्हारे पिता ने सिद्धियो से हासिल किया है और अब उसे लोगो की जान लेने के लिए खुला छोड दिया है उसने कई लोगो को मार डाला है कर्णिका ने कुछ भी जवाब नहीं दिया और वहाँ से चली गई। अब दया और कर्णिका रोज कही ना कही मिलने लगे तथा उनके बीच प्रेम बढने लगा।

फिर एक दिन साम को भुवन अपनी सारे आदमियों को लेकर साधु की घर के तरफ जा रहा था तभी दया ने उन सब को जाते हुए देख लिया दया भी उनके पीछे पीछे चले गए

इस दौरान गांव मे कई लोग बुरी आत्माओं के द्वारा मारे गए थे

जब दया भुवन का पीछा करते हुए साधु के घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि भुवन साधु को गालिया दे कर बाहर बुला रहा था पर जब साधु बाहर नही आया तो भुवन ने अपने लोगो को घर के अंदर जाने का आदेश दिया उसके तीन लोग अंदर गये और कर्णिका को जबरदस्ती घसीट कर बाहर निकाल कर लाये। तभी दया वहाँ पर पहुंच गये और उन्होंने कर्णिका को जल्दी से भुवन के आदमियो से छुड़ाया दया को वहाँ देखकर भुवन गुस्से से भर गया और दया को वहाँ से जाने के लिए बोला पर दया ने भुवन को चेतावनी देते हुए कर्णिका और उसके परिवार को नुकसान ना पहुंचाने के लिए बोला पर भुवन ने दया की बात का विरोध करते हुए बोला कि इसके बाप के कारण ही मेरे परिवार की जान गई है इसके बाप ने ही मेरे घर उस बुरी आत्मा को भेजा था। पर आज मै फिर से वही करूगा जो मैने आज से 30 साल पहले किया था। जिस तरह मैने इसकी शिष्या को जंगल मे इज्जत लुटकर मार डाला था आज इसके साथ भी वही करुगा और इसके बाप की मारकर जंगल के जंगली जानवरों को खिला दुंगा और अगर तु बीच में आया तो तुझे भी जान से मार दुंगा

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और बोलकर भुवन ने अपने आदमियों को कर्णिका को घसीट कर लाने के लिए बोला। पर दया कर्णिका को बचाने के लिए भुवन के आदमियो से भिड़ गये दया और भुवन के आदमी आपस मे लड़ाई शुरु कर दी और दया ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए भुवन के आदमीयो को मारना शुरु कर दिया दया और सभी आदमी एक भीसण युद्ध लड रहे थे जिसमें दया उन सभी लोगो को बुरी तरह से मार रहे थे

दया ने भुवन के कई लोगो के हाथ पैरो को तोड दिया और कई आदमीयों को मार कर घायल कर दिया पर खुद भी घायल हो गए

 

आज के इस कहानी का भाग यहीं पर समाप्त होता है इसके अगले भाग मे अवश्य पढ़े कि कैसे उर्वशी के बारे मे कुछ रहसमयी तथ्य का पता चलता है इस कहानी के सभी भाग जल्द ही प्रसारित किये जाएगे

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