कर्ण पिशाचिनी या उर्वशी- एक सच्ची कहानी Part-3
Crazyhorrormint
फिर से लेकर आया है एक सच्ची कहानी जो कि एक कर्ण
पिशाचनी पर आधारित अगर आपने हमारी पिछली कहानी कर्ण पिशाचिनी या उर्वशी- एक सच्ची कहानी Part-2 को
पढ़ा होगा तो आपको कर्ण
पिशाचनी के बारे मे अवश्य पता चला गया होगा आज के इस कहानी के
भाग मे पढ़े कि कैसे उर्वशी के बारे मे कुछ रहसमयी तथ्य का पता चलता है
अब:--
साधु दया को कहता है वह बदला चाहती है जिसे अब कोई भी नहीं रोक सकता ।
तभी दया सिंह यह महसुस करता है कि उसके पैर का दर्द गायब हैं दया सिंह बिलकुल हैरान होकर खटिया से उठता है और अपना टुटा हुआ पैर जमीन पर रखता है और दो कदम चलने के बाद उसे अहसास होता है कि उसका पैर अब पूरी तरह से ठीक हो गया है । बाहर बारिश भी रुक चुकी थी दया साधु को कहता है तुमने जो भी किया है वो ठीक नहीं किया है जिससे लोगो की जान ही जाएगी । तभी साधु दया को कहता है मुझे पता है तुम आजकल रातो को सो नही पा रहे हो और तुम बहुत भयानक सपने देखते हो क्या तुम्हें पता है जो सपना तुम देखते हो उस सभी का वास्तविकता से कोई संबध है। दया सिंह मन ही मन सोचने लगे कि इस साधु को मेरे सपनों के बारे में कैसे पता चला ।
तभी साधु दया को एक जंतर (ताबिज) देता है और कहता है कि इसे कल नहा धोकर धारण कर लेना । यह तुम्हे बुरी शक्तियों और बुरे सपनो से तुम्हे बचाएगी । दया सिंह ने ताबिज को लेकर अपनी जेब में रख लिया और बाहर निकल आए । और चलने लगे जब वह मंदिर को पार करके आगे बढ ही रहे थे कि तभी अचानक किसी चीज के गिरने की आवाज आई जो मंदिर के अंदर से आई थी दया सिंह मंदिर को देखते है और फिर सिढ़ियो से चढ़कर मंदिर के दरवाजे पर जाकर रुक जाते हैं और अंदर धीरे से झाक कर देखते हैं और बिल्कुल संतब्ध होकर चुप चाप बिना आवाज किए खड़े होकर अंदर देखते हुए गहरी सांस लेते है अंदर एक लड़की साधना की अवस्था मे माता की मुर्ती की तरफ मुंह करके बैठी थी। और कुछ मंत्र उच्चारण कर रही थी। दया सिंह वहाँ से चुप चाप नीचे उतरने लगे और रोड की तरफ तेजी से चलकर जाने लगे। बारिश की वजह से पुरी सडक कीचड से भरी हुई थी जैसे तैसे दया अपनी गाड़ी के पास पहुंचते हैं तभी सिफल पीछे से आवाज से आवाज देता है दया कहाँ थे तुम क्ब से तुम्हें ढुढ़ रहा हु। गाड़ी लाये हुए मुझे 3 घण्टे से भी ज्यादा हो गया है और तुम चलने कैसे लग गए सिफल हैरानी से दया सिंह को देख रहा था तभी दया कहते हैं मोटर साइकिल को जीप में रखो और यहा से अभी निकलो सिफल हैरानी से पुछते है कि क्या हुआ है मुझे कुछ थी समस नही आ रहा है दोनो लोगों ने मोटर साइकिल को जीप में पीछे रख दिया और जीप में बैठ कर क्वाटर आ गये । सिफल पुछता है तुम्हारी टाँग कैसे ठीक हो गयी और तुम इतने देर से कहॉ थे दया सिंह सिफल को कहते हैं कि वह पागल साधु तुम्हारे जाने के बाद आया था उसी ने मुझे ठीक किया हैं । सिफल हैरान नजरो से दया को देखता है और फिर अपने रुम में चला जाता है ।
दया समझ गये थे कि सिफल उनकी बातो पर भरोसा नहीं करेगा। और दया भी अपने कमरे मे जाकर गीले कपड़े उतार कर दुसरे कपडे पहन कर सो गए। अगले दिन सुबह दया तैयार होकर सिफल के साथ जीप में बैठकर अपनी मोटर साइकिल के टायर को ठीक करवाने के लिए जा रहे थे तभी सिफल ने दया से पुछा कि कल तुम चलने की हालत मे भी नही थे और अब तुम
पूरी तरह से ठीक हो उस साधु ने ऐसा क्या कर दिया जिससे तुम इतनी जल्दी ठीक हो गए। दया ने सिफल को बताया कि कैसे साधु ने जड़ी बूटी का लेप लगाकर मंत्रो के द्वारा उसे ठीक किया है।
तभी सिफल दया से पुछता है क्या तुम्हे भुवन के बारे में पता है इस सवाल को सुनते ही दया सिंह सिफल को देखकर हैरानी से कहते है वो जमींदार ।
सिफल कहता है हा वही! वह अपने आप को यहा का राजा समझता है उसे लगता है ये जंगल और गॉव उसका है। इसलिए वो कई सारे गैर कानूनी काम करता है जंगल के पेड़ कटवाना और उसे काले बाजार में बेचना और गाँव वालो को पैसा उधार देकर उनकी जमीनों को हथियाना, यहां के बाजार से अवैध पैसो की वसुली, और कई सारे गैर कानूनी शराब की भट्ठिया भी चलाता है उसका यहा बहुत दबदबा है । उसने कई सारी हत्याएं और बलात्कर भी किया है और अब वो राजनीति में भी आना चाहता है अगर वो राजनीति में आया तो ये पुरा जंगल और गांवों को वह तबाह कर देगा ।
दया सिंह अब समझ गये कि क्यु साधु ने उर्वशी की आत्मा को इतने सालो से वश में रखा था और अब उसे एक शक्तिशाली पिशाचनी बनाकर क्यु जंगल का स्थान दे दिया है ।
दया सिंह अपने ख्यालों में गुम होकर यह सब सोच ही रहे थे कि सिफल ने गाड़ी रोक दी और दया से कहा चलो उतर जाओ बाजार आ गया है और दोनो ने मोटर साइकिल को उतार कर एक गाड़ी मेकेनिक के पास से टायर को ठीक करवाया और एक होटल में बैठ कर खाना खाया । फिर सिफल ने दया को कहा कि तुम मोटर साइकिल से आयो मै जीप से पहुंचता हु। दया मोटर साइकिल पर सवार होकर क्वाटर की तरफ आने लगे तभी बाजार से बाहर निकलते ही दया को किसी स्त्री ने हाथ आगे बढ़ाकर रोक दिया और अपने आप को गांव में छोड़ने को कहा ।
स्त्री देखने में बहुत अधिक खुबसुरत थी उसकी ऑखे नीली रंग की थी उसका पुरे शरीर का रंग सफेद दुध की तरह था। उसने गांव की साधारण स्त्रियों की तरह हलके लाल और भूरे रंग की साडी पहन रखी थी । दया सिंह उससे देखकर पूरी
तरह से उस पर मोहित हो गए । तभी उस स्त्री ने दया को कहा साहब आप क्या सोच रहे हैं मुझे गाँव तक छोड़ दो । दया सिंह ने अटकती आवाज में हा कहा और उससे उसका नाम पुछा?
स्त्री ने अपना नाम कर्णिका बताया ! दया सिंह ने उसे अपने पीछे की सीट पर बिठाया और धीरे धीरे मोटर साइकिल को चलाने लगे तभी कर्णिका ने दया सिंह से पुछा कि आप कौन हैं मैने आपको पहले कभी नहीं देखा इस गांव में ।
दया ने कर्णिका को बताया कि मै यहां का फारेस्ट आफिसर हुं और यहाँ पर 7 महीने पहले ही आया हूं । तभी दोनो गांव में पहुंच गए और कर्णिका ने रोकने को कहा । कर्णिका मोटर साइकिल से उतर कर दया सिंह को धन्यवाद कहा और एक छोटे से पगडंडी वाले रास्ते से होकर चली गई ।
दया सिंह भी अपने रास्ते पर आगे बढ़े और क्वाटर पर आ गए । तभी सिफल दया के पास गया और उससे बताया कि कल रात भुवन के कुछ आदमीयों की लाश जंगल से मिली है जो जंगल कल लकड़ी काटने जंगल में गये थे और वापस नही आये और सुबह उन सब की लाशे जंगल से बरामद हुई हैं और जंगल के बाहर वाले चेक पोस्ट पर रखी गयी है । दया और सिफल दोनो ही जीप में बैठ कर चेक पोस्ट पर पहुंचते हैं और वहाँ पर उन्हे तीन लोगों की लाश पड़ी मिलती है । जिसमें एक का नाम धीमल था वह भुवन का सबसे खास आदमी था। लाशों को देखकर दया को सब पता चल गया था कि यह काम किसका है क्युकि तीनो लोगो को बडे ही विचित्र तरीके से मारा गया था। खास कर धीमल को देख कर लग रहा था जैसे किसी ने पहले उसके शरीर को काटो की तार से जकङ लिया हो और फिर उसे घसीटा गया हो और फिर किसी जानवर ने उसके शरीर के सभी अंगों को काटकर खाया हो। बाकी दोनो व्यकितयो के साथ भी कुछ रेसा ही था पर उन दोनों के आधे पैरो का चुरा बन गया था ऐसा लग रहा था जैसे कोई बहुत भारी चीज उनके उपर गिरी थी । दया सिंह एक गार्ड को बोलकर तीनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और सभी गार्ड और ऑफिसर की साम के बाद जंगल के अंदर जाने से मना कर दिया । सिफल और दया सिंह दोनो जीप में बैठ कर वापस क्वाटर पर आ गए । तभी गाडी से उतर कर दया ने सिफल से पुछा ये धीमन भुवन का खास आदमी था तो यह जंगल में क्या करने गया था । सिफल जवाब देते हुए कहता है कि जगल मे कुछ तो विचित्र जीव है जो भुवन के लोगो को चुन कर मार रही है क्युकि कुछ दिन पहले वह व्यवित मारा गया था और आज ये तीन लोग मारे गए ।
दया कुछ देर तक इन घटनाओं के बारे में बात करते हैं और फिर वो अपने कमरे में जाकर आराम करते हैं । बेड पर लेट कर वो साधु की कही हुई बातों को याद करते हैं कि कैसे साधु ने एक बुरी मरी हुई जीव कर्ण पिशाचिनी को जगल मे खुला छोड दिया है ताकि वह भुवन के सभी लोगों को मार डाले और अपना बदला पुरा कर ले। दया सिंह सब कुछ जानकर भी अपने आप को मजबुर समझ रहे थे क्युकि कानून इन सभी तंत्र मंत्र, भुत प्रेत पिशाचनीयो को नही मानता । और वह ना ही भुवन को उसके अपराधो की सजा दिला सकते थे। सोचते सोचते उन्हे उस ताबिज की याद आती है जो उन्हें कल साधु ने दिया था। दया उठ कर पिछले दिन पहने हुए कपड़े की जेब से ताबीज निकालते है और उसे थोडी देर देखने के बाद अपने गले मे पहल लेते हैं ।
ताबीज़ को गले मे डालते ही अचानक से कमरे की खिड़की खुल गई और एक ठंडी हवा उन्हें छु कर गुजरती है जो बहुत ही अधिक ठंडी होती हैं कुछ पल के लिए दया के कमरे का तापमान एक दम से ठंडा हो गया । दया को कुछ भी समझ नहीं आया उन्होंने अपनी खिड़की को बंद कर दिया । और वापस से लेट गए । जब अगली सुबह उनकी नींद खुली तो सिफल उनके कमरे के बाहर आ कर उन्हें आवाज लगा रहा था दया सिंह ने दरवाजा खोला ।
सिफल ने दया से कहा जल्दी से तैयार हो जाओं भुवन चौकी पर आकर हंगामा कर रहा है । दया सिंह ने जब यह बात सुनी तो वह गुस्से से भर गये। और कुछ मिनटों के बाद अपनी यूनिफार्म पहन कर वापस आये। दया और सिफल दोनों जीप में बैठ कर वन कार्यालय पहुंच गए और दया ने पहली बार भुवन को देखा ! भुवन ने अपनी गर्दन को मोङकर दया को देखा । दया उसके सामने अपनी कुर्सी पर बैठ गए और भुवन से वहाँ आने का कारण पुछा।
भुवन ने गरमाई आवाज में दया से कहा 'कैसे ऑफिसर हो तुम जंगल में कुछ दिनों से कोई गाँव वालो और मेरे लोगो को जान से मार रहा है और तुम उसे ढुढ़ भी नहीं पा रहे। "
दया सिंह ने भुवन की आवाज को दबाते हुए कहा जो लोग जंगल में मारे गए थे वो किसी ना किसी अवैध काम मे सामिल थे और जंगल में चंदन के पेड़ो को काटने गए थे। और उन पर किसी जंगली जीव ने हमला कर मार डाला । उसमें से सारे लोग तुम्हारे ही है और तुम्हारे उपर पहले से ही कई अवैध और गैर कानूनी मामले चल रहे हैं तो अपनी आवाज को नीचे रख कर बात करो ।
दया सिंह के इस बर्ताव की देखकर भुवन अपनी कुर्सी से खडा हुआ और दया को धमकी देकर बोला तुम मेरा कुछ नहीं बिगाङ सकते ये गांव और जंगल मेरा है और यहाँ का मालिक मैं हु सारे नेता और पूलिस वाले मेरी जेब में है तुम लोग मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते । जो करना है करो। और तुम्हें तो मै बताऊंगा ।
और यह बोल कर भुवन वहां से चला गया ।
सिफल ने दया से कहा " ये क्या किया तुमने तुम्हे भुवन से पंगा नहीं लेना चाहिए वह बहुत ख़तरनाक इंसान है यह कुछ भी कर सकता है"
दया ने सिफल से कहा मै जानता हूं कि भुवन कुछ भी कर सकता है पर इस जंगल को बचाने की जिम्मेदारी हमारी है और अब कुछ भी हो जाए इसे अब मै जेल भेज कर ही रहुगा ।
तभी वायरलेस पर आडियो मैसेज आया कि यहाँ जंगल में हमारे साथ तस्करों की मुठभेड हो रही है और दो गार्ड घायल हो गए हैं जल्दी से बैक-अप भेजे । यह सुनते ही दया ने सिफल और बाकी के ऑफिसर को जंगल मे चल कर तस्करो को पकड़ने का आदेश दिया और सभी लोग अपनी बंदुके और गोलिया भर कर निकल पड़े और थोड़ी ही पल मे चेक पोस्ट पार कर जंगल मे दाखिल हो गए ।
जंगल के अंदर गोलिया चलने की आवाज आ रही थी दया अब समझ गए थे कि तश्करो की संख्या ज्यादा है दया ने अपनी जीप रोक दी और सभी की पोजीशन लेकर तस्करों पर फायरिंग करने को कहा ।
दया और सिफल भी अपने हाथो मे पिस्तौल को लेकर आगे बढ़ रहे थे दया सावधानी से आगे चल रहे थे और सिफल दया को पीछे से प्रोटेक्ट कर रहे थे ।
दया एक पेड के नीचे बैठ गए और सिफल को भी बैठने को कहा जब सिफल नीचे बैठ गया तो दया ने उससे कहा यहा से हमे सब को निशाने पर लेकर गोली चलानी पड़ेगी। दोनों लोग पेड के नीचे झाडियो मे घुपकर तस्करो पर गोली चलाने लगे। और दया ने तीन तस्करो को गोली मारी जो उनकी झाती मे लगी और सिफल ने तभी सभी को पीछे से जाकर उनके पीठ और माथे पर पर गोली मारकर पांच लोगो को मार डाला । बाकी के तश्कर इस जवाबी हमले को देखकर वहा से भागने लगे लगभग बारह से अधिक तश्कर इस कार्यवाही मे मारे गये और कुछ घायल हो कर भाग गए । दया उनके पीछे भागे तभी सिफल ने दया को आवाज दी दया रुको ।
पर दया सिफल और आफिसर से बहुत दूर आ गये जहा उन्हें चारों तरफ सिर्फ घनी झाडियां, बड़े बड़े पेड़ और ढलान दिख रहा था । सभी तश्कर झाड़ियों के बीच मे घुप गये । और अन्धाधुन दया पर गोलियां चलाई एक गोली दया के कन्धे पर लगी और वो एक मोटे से पेड के पीछे गए और सभी को छुपकर देखा पर कोई भी तश्कर नजर नहीं आया तभी एक झाड़ी हिलने लगी दया समझ गये इस झाडी में कोई तश्कर जरूर है दया ने अपनी बंदुक से तीन चार गोलियां झाड़ियों की तरफ बरसा दी तभी झाड़ी मे से किसी आदमी के चिललाने की आवाज आई दया को पता लग चुका था कि गोली किसी तश्कर को लगी है तभी एक तशकर उनके पीछे छुपकर आया जिसके हाथ मे चाकु था दया ने पीछे देखा तभी तश्कर ने चाकु से हमला कर दिया पर दया सिंह उसके हमले से बच गए और उसकी छाती में तुंरत दो गोली मारी । पर अब दया तस्करों के बीच मे घिर गए थे । तभी सभी तस्कर झाड़ियो से निकले और दया को चारो तरफ से घेर लिया । और तभी एक तश्कर ने दया सिंह को पीछे से सिर पर मारा सिर पर चोट लगते ही दया बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े। सभी तस्कर दया के ऊपर अपनी बंदुकें तान कर खड़े थे ताकि दया सिंह को गोली मार सके ! परन्तु तभी वातावरण में एक अजीब सी हलचल हुई ।
एक अदृश्य शक्ति धुवां बनकर तश्करो के चारो तरफ गोल गोल घुमने लगी सभी तश्कर उस धुवे को देखकर चकित थे कि तभी भयानक आवाजें जंगल के चारों कोणों से आना शुरु हुई आवाजे इतनी डरावनी थी कि सभी तस्करो के रोगेंटे खडे हो गए सभी लोगो ने अपने हाथो से कानो को बंद करना शुरु कर दिया सभी तश्कर के कानो से खुन बहने लगा । तभी एक भयावह स्त्री जोकि एक राक्षसी के रूप में अचानक से तालाब से निकली जिसका चेहरा एक काले नीले रंग का था उसकी ऑरवे अंगारे की तरह दहक रही थी और वह काले वस्त्र धारण किये हुए बहुत भयावह लग रही थी और तस्करों की तरफ बढ़ने लगी । सभी तरकर यह दृश्य देखकर अपनी बदुको को हाथ में थाम लिया और दनादन सारी गोलिया उस राक्षसी पर बरसा दी । पर वह कोई राक्षसी नही ब्लकी एक तिलस्मी खुंखार और एक भयावह आत्मा थी जिसके अंदर कई आत्माए समाहित थी।
तश्कर लगाकर उस स्त्री पर गोलीयां चालाए जा रहे थे पर उसका कोई भी प्रभाव उस स्त्री पर नही हुआ सभी तश्कर डर कर एक जगह पर खड़े हो गए । .
स्त्री उनके पास आई और एक तश्कर की आँख में देखा जिसके बाद वह तस्कर ने अपनी चाकु निकाली और अपने एक साथी के छाती मे घोप दिया यह देखकर सभी लोगो मे आंतक सा छा गया । तभी वह तश्कर अन्य दुसरे लोगो की तरफ चाकु लेकर बड़ा जिसे देख एक तश्कर ने उसे गोली मार दी ।
और चिल्लाया "जान प्यारी हैं तो भागो "।
यह सुनकर बाकी के चार लोग तेजी से अलग - अलग दिशाओं में भागने लगे ।
पर वह स्त्री फिर से तेज तेज हसने लगी उसकी हंसी पुरे जंगल में गुंज रही थी । तभी वह अचानक से हवा में गायब हो गई और धुवा बनकर इधर उधर उड़ने लगी । तभी अचानक चारो लोग एक जंगह पर आकर रुक गये और एक दुसरे को देखकर हैरानी से बोले ये तो वन देवी का मंदिर है हम किसी भी दिशा मे जा रहे हैं फिर भी एक ही जगह पर आकर रुक रहे हैं ऐसा क्यु ?
तभी वह शक्ति धुवे से वापस स्त्री के रुप में बदल गई। और उनके पीछे से बोली क्युकि मै नही चाहती कि तुम मुझे छोड कर जाओ ।
यह आवाज सुनकर सभी लोगों ने पीछे मुड़कर देखा सबके चेहरे पर भयानक डर का भाव था। सभी के चेहरे से पसीना बह रहा था
तभी एक आदमी ने स्त्री से पुछा कौन हो तुम और हमे क्यु मारना चाहती हो?
स्त्री ने जवाब दिया मै हु उर्वशी एक कर्ण पिशाचनी !
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इतना
बोलकर उस पिशाचनी ने
सामने खडे आदमी के पेट मे
अपने बड़े बड़े नाखुनो वाले हाथ को डाल दिया
जोकि उस व्यकित के
पेट को फाडकर अंदर
चला गया और उसु व्यक्ति
का दिल बाहर निकाल दिला व्यक्ति के पेट से
लबालब खुन की धारा बहने
लगी और कर्ण पिशाचनी
के हाथ में जिंदा व्यकित के धड़कते हुए
दिल को देखकर तीनों
लोग भागने लगे तभी कर्ण पिशाचनी के आगे प्रकट
हुई जिसे देखकर वह व्यक्ति बहुत
डर गया और गिड़गिड़ाने लगा
परन्तु उर्वशी ने तुरंत उसका
सिंर अपने हाथों से उसकी गर्दन
से अलग कर दिया और
।
और उसके खुन को पीने लगी। अब उन दोनो को समक्ष मे आया कि यह कोई अलौकिक शक्ति है जो नरक से आई है और इसके बचना नामुमकिन है । तभी एक बड़ी सी बेल की लता एक पेड से आई और दोनो के गले को लपेट कर लटका दिया जिसके कारण एक की गर्दन टुट गई और उसकी मौत हो गई परन्तु दुसरा व्यकित बेल को गले से पकड़ कर हटाने की कोशिश कर करा था। तभी उसने देखा कि उसु कर्ण पिशाचनी के हाथो मारे गए सभी आत्माए उसके साथ ही खड़ी है यह देखकर वह व्यक्ति पागल हो गया और फिर उसने भी दम तोड दिया।
कुछ देर के बाद बेहोशी में दया को कुछ सपने जैसा महसूस हुआ जिसमें एक सुंदर स्त्री उन्हें जगा रही थी। तभी दया सिंह अपनी आँखे धीरे धीरे खोलते हैं और देखते है कि कोई स्त्री उन्हें उठाने का प्रयास कर रही थी दया अपनी ऑख खोल कर देखते है पर उन्हें सब कुछ धुंधला दिखाई पड़ रहा था । फिर दया की आँख दो दिन के बाद खुलती है तो वह देखते हैं कि वह साधु के घर पर है तथा उनके सिर पर पट्टी बंधी हुई है । तभी वह स्त्री उनके पास आई जोकि कर्णिका थी और दया को लेटने को कहा ।
दया हैरान होकर उस स्त्री को देखा और बोला कि तुम तो कर्णिका हो पर तुम यहा कैसे?
तभी वह साधु आ गए ओर दया को बोला कि कर्णिका मेरी बेटी हैं और इसी ने तुम्हारी जान बचाई है क्युकि किसी ने तुम्हारे सिर पर मार कर तुम्हें घायल कर दिया था। और यह उस जंगल में कुछ जड़ी बूटियां लेने गई थी तो तुम्हें वहां से ले आई।
दया उठते हुए पुछते है कि मै कितने समय से यहां हु ? कर्णिका बोलती है दो दिन से दया तभी वहाँ से उठकर बाहर जाने की कोशिश करता है परन्तु तभी सिफल वहाँ आ जाता है और दया को लेटने को कहता है! सिफल को देखकर दया उनसे पुछते है कि सभी तश्कर कहा गए तो सिफल बोलता है कि वह सभी तो मारे गए हैं तुम जंगल मे घायल पड़े हुए थे तुम्हारे सिर से बहुत खुन बह चुका था पर इन्होंने तुम्हे बचाया है और अभी तुम कुछ दिन इनके साथ यही रहोगे और तुम चिन्ता मत करो हमारी पुरी टीम तुमसे मिलने यहा आती रहेंगी ।
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सभी प्यारे रिडरज आज की इस कहानी मे बस इतना ही अब हम आप सभी के लिए हम इसका अगला महत्पूर्ण भाग जल्द ही लायेगे तब तक के लिए आप अन्य स्टोरिज को पढ़ सकते है।
मेरे सभी प्यारे रिडर आप सभी के सपोर्ट से Crazyhorrormint धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है कृपया करके इसपर पब्लिस होने वाले स्टोरिज और आर्टिकल को अपने सभी मित्रो को share करे तथा हमारी सफलता मे योगदान दे! धन्यवाद
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