चैन सिंल्ग एक तिलिस्मी गांव- भूतिया कहानी
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लेकर आया एक एक ऐसी भूतिया कहानी जो एक गाव पर आधारित है । इससे पहले आपने कर्ण पिशाचिनी या उर्वशी- एक सच्ची कहानी पढ़ा होगा जो हमारी लोकप्रिय कहानियों में से एक है । चलिए अब शुरु करते हैं ।
यह कहानी एक ऐसे मुशाफिर कि है जिसे नई नई जगह पर घुमने का बहुत शोक था । इस व्यक्ति का नाम अमर है जोकि भारत के छत्तीसगढ़ का रहने वाला था । और पेशे से यह एक इंजीनियर था।
अमर 2010 में दिसम्बर के महीने में हिमालय के पहाड़ियों मे घुमने के लिए आया था। जोकि नेपाल और भुटान सीमा की तरफ है । वहा वह एक गांव चैन सिंल्ग में रुका और अपने सफर का आंनद लेने लगा वह दिनभर वहा के लोकल लोगो के साथ पहाडियो मे घुमता और रात मे उस गांव के घर मे रुकता जहा वह रहता था। रात मे गांव मे पूरी तरह से बिजली ना होने की वजह से गांव के लोग रात मे घरो मे ही रहते हैं ।
अमर रोज हिमालय की पहाड़ियों मे दुर दुर तक जाता और सभी नजारे का आंनद लेकर साम होने से पहले वापस आ जाता । पर एक दिन थोडी बर्फबारी की वजह से अमर साम को वापस उस घर मे आने मे लेट हो गया । तथा उसने गांव के बाहर बने हुए एक घर के नीचे खड़ा हो गया ताकि वह बर्फबारी से बच सके वह घर के बाहर सीढ़ियों पर खडा था। तभी एक सुंदर लड़की बाहर आई और अमर को देखकर पुछा कि वह कौन है और वहां पर उसके घर के बाहर क्यु खडा है । अमर उस लड़की की सुंदरता को देखकर स्तब्ध और हैरान रह गया । उसने अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज में बोला की बर्फबारी की वजह से वह थोडी देर के लिए यहाँ पर रुका है यह सुनकर वह लड़की घर में चली गई और दरवाजे को बंद कर दिया तभी कुछ देर के बाद एक बुढ़ी स्त्री बाहर आई और अमर को घर के अंदर आने को कहा । पहले तो अमर ने अंदर जाने से मना किया पर उसके बाद वह ठंड और बहुत ज्यादा हो रही बर्फबारी को देखकर घर के अंदर जाने के लिए तैयार हो गया ।
जब अमर ने घर मे कदम बढ़ाया तो उसने देखा कि एक वह सुंदर लड़की अंदर आग जलाकर उसके पास बैठी थी । वह भी आग के पास जाकर बैठ गया । तभी उस सुंदर लड़की ने अमर की तरफ देखा और मुस्कुराने लगी । अमर भी लङकी को देखकर मुस्कुरा दिया । तभी वह बुढ़ी औरत कुछ खाने का सामान लेकर आई और आग के पास रख दिया और अमर को खाने के लिए दिया । अमर ने उसे चाव से खाया तभी उस लड़की ने अमर से पुछा कि तुम इस गांव के नही हो तुम कहा से आये हो और यहा क्यु आये हो ।
अमर ने कहा कि मै छतीसगढ से यहाँ घुमने आया हू और कुछ दिन के बाद मै यहाँ से वापस अपने घर चला जाऊंगा । तभी वर्फबारी रुक गईं और अमर खडा हुआ। और घर से बाहर क्षांक कर देखा और लड़की से बोला बर्फबारी रुक गई है मुझे अब चलना चाहिए । परन्तु तभी उस लड़की ने अमर को न जाने के लिए बोला पहले तो अमर ने भी सोचा की उसी घर मे रात भर रुक जाए और सुबह जाये क्युकि वह उसु सुंदर लड़की के साथ समय बिताना चाहता था पर फिर उसने अपने मन को बदलकर वह बाहर निकला ।
अमर बाहर आकर देखता है कि पूरी तरह से बाहर अंधेरा है, वह उस घर से एक आग जलती हुई लकडी को लेकर अपने उस घर की तरफ चल दिया जहा वह रुका हुआ था। करीब 10 मिनट बाद वह अपने सराय पर पहुंच गया वहां पहुंचते ही लोगों ने उनसे पूछा कि वह इतनी बर्फबारी मे कहा था। उसने सबको बताया कि कैसे वह एक सुंदर लड़की के घर पर रुका था और बर्फबारी बंद होने के बाद यहा पहुंचा है। तभी उस सराय के लोग वहां इक्ठढा हो गए और उस पर गुस्सा करने लगे। और अमर को बहुत बुरा भला कहा और रात से पहले वहा पर जल्दी आने को कहा ।
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अमर इस गांव वालो के बर्ताव पर बहुत हैरान हुआ कि एक तो वह बर्फबारी मे फस गया और उपर से गांव के लोग उसे ही सुना रहे थे।
अमर को बडा ही अजीब लगा पर उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और अपने कमरे में जाकर बैठ गया और फिर कुछ देर के बाद उस घर का एक व्यक्ति कुनजु अमर के लिए खाना लाया जिसमे मांसाहारी चीजे थी। अमर को भी बहुत भुख लगी थी। तो उसने खाना ले लिया और खाने लगा पर जब अमर ने एक मीट का टुकड़ा मुह के अंदर डाला उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे वह कोई दूसरी तरह का मांस खा रहा है जैसे किसी बडे जानवर का मांस हो।
अमर ने पूरा खाना खा लिया जोकि बहुत स्वादिष्ट था। अब उमर अपने बेड पर लेट गया और सोने लगा तभी कुछ देर के बाद अमर की नीद लग गई अमर आराम से सो रहा था कि तभी उसे एक सपना आता है जिसमे वह देखता है कि वह जिस मे रहता है वह एक भूतिया घर है तथा उस घर के सभी लोग सदियो पहले ही मर चुके हैं तथा उनकी आत्मा अमर के बेड को घेरकर खड़े हैं तथा उसे सोते हुए अवस्था में घुर रहे हैं ।
तभी अमर डरकर उठ जाता है और अपने चारो तरफ देखता है परन्तु उसे कोई भी नजर नहीं आता । तभी उसे खिडकी पर बहुत सारे सिर दिखाई देते हैं जो बाहर से झांक रहे थे । अमर उसे देख कर घबरा गया और उसकी दिल की धड़कने तेज तेज चलने लगी। अमर घबरा कर खिड़की के पास पहुंचा और बाहर देखा बाहर बस घना कोहरा छाया था। अमर ने अपनी गर्दन घुमाकर दोनो तरफ देखा पर उसे कुछ भी नजर नही आया अमर कुछ देर बाहर क्षाक ही रहा था कि उसे कुछ लोग क्षुंड बनाकर जाते हुए दिखाई पड़े तभी अचानक से एक शैतानी चेहरा खिङकी पर अचानक से आया जिसे देखकर अमर बुरी तरह से जमीन पर गिर पड़ा और डर कर हांफने लगा ।
अमर थोडी देर तक बेड से सटके बैठा रहा और खिडकी को देखा पर खिडकी पर उसे कोई भी नजर नही आया । अमर को लगा शायद यह उसका भम्र है जो थकान और अकेले पन की वजह से हो रहा है अमर फिर से खडा हुआ और खिङकी के पास जाकर खिड़की को बंद कर दिया और वापस आकर सो गया । जब सुबह अमर की आँख खुली तो देखा कि सब माहोल बिलकुल साधारण है लोग अपने अपने कामो में जुटे हुए हैं और पूरा गांव ऐसा लग रहा था जैसे किसी विशेष काम में जुटा है और किसी चीज कि तैयारी कर रहे थे और सभी लोगो के चेहरे पर मुस्कान थी और सभी लोग बहुत खुश थे। और अमर की तरफ देख रहे थे अमर को कुछ भी समझ नहीं आया और उसने सोचा कि यह बस एक साधारण सी बात है और अमर पहाडियो की तरफ घुमने चला जाता है । तभी अमर को वह लड़की उसके पीछे आते हुए दिखाई देती है ! तभी वह रुक गया और लड़की के पास आने पर उससे बाते करते हुए चलने लगा।
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अमर और लड़की आपस में बाते करते हुए पहाड़ी पर ऊंचाई की तरफ जाने लगे । तभी एक पत्थर के पास जाकर वह लड़की रुक जाती है और अमर बिना उस लङकी को देखे उस पत्थर को पार करके कुछ कदम आगे बढ़ जाता है परन्तु पीछे से कोई आवाज नहीं सुनाई पड़ने पर अमर ने पीछे मुड कर देखा तब वह लड़की अमर से पीछे कुछ बीस कदम की दूरी पर पत्थर के पास खड़ी मिलती हैं ।
अमर हैरानी से लङकी को देखता है तथा उसे आने के लिए कहता है पर वह लड़की उसे मना कर देती है और पीछे मुङकर वापस गांव की तरफ चली जाती है। अमर भी आगे मुडकर पहाड़ की चोटी की तरफ़ चला गया और चोटी पर खड़े होकर वहाँ से पुरे पहाडियां और आकाश का नजारा देखने लगा जोकि बहुत खुबसुरत था। वहीं खडे होकर कुछ देर तक पूरे नजारे का आंनद लेने के बाद अमर को घर की याद आती है और वह सोचता है कि अब एक दिन और बिताकर उसे अपने घर छत्तीसगढ़ चले जाना चाहिए । और यही कुछ देर सोचने कें बाद वापस से गांव के अंदर आ जाता हैं तभी वह देखता है पूरें गांव के लोग अपने घरों से बाहर आकर खडे है जैसे कोई मुर्ति खड़ा होता है और सभी लोग उसे बहुत गुस्से और असमान्य नजर से घुर रहे थे । अमर अपनी नजर को झुकाकर उस घर पर चले जाता है जहां वह ठहरा हुआ था । और अपने कमरे मे जाकर बैठ गया तभी बाहर से ठंडी हवाएं खिड़की से होते हुए अमर की तरफ आ रही थी ।
अमर खडा हुआ और खिड़की के पास जाकर खिड़की को बंद करने लगा तभी अमर ने खिड़की से बाहर झांका और बाहर देख कर दंग रह गया उस पूरे गांव के लोग उस घर के बाहर खड़े होकर उसे ही देख रहे थे । तभी अमर को ऐसा लगा जैसे कि इस गांव और इस गांव के लोगो मे कुछ तो अजीब सी बात है जो उसे नहीं पता थी । तभी वह देखता है जिस घर में वह रुका है उस घर में उस वक्त कोई भी नहीं था और कुछ अजीब सी आवाजें उस घर के एक दुसरे कमरे से आ रही थी अमर अपने कमरे से बाहर निकल आया और आवाज का पीछा करते हुए एक ऐसे कमरे के पास पहुंचा जो पूरी तरह से बंद था और उसके अंदर से एक दानव की चिललाने की आवाज आ रही थी ऐसा लग रहा था जैसे कोई शैतान किसी चीज के लिए बहुत ही वर्षों से तड़प रहा है ।
जैसे ही अमर दरवाजे के पास पहुंचा वह चिल्लाने की आवाज बंद हो गई सब कुछ शांत हो गया अमर दरवाजे के पास खड़ा हो गया और दरवाजे पर कान लगाकर अंदर कमरे से आ रही आवाज को सुनने की कोशिश की कुछ पल कोई आवाज नही आई पर तभी अंदर से शैतान इतनी तीव्रता से चिल्लाया कि अमर अपनी सुद्ध बुद्ध को खोकर वही जमीन पर गिर पड़ा । अमर अब समझ चुका था कि यह गांव सच मे शैतानी और श्रापित है तभी अमर अपने कमरे की तरफ भागा और अपने सभी सामन को अपने बैग मैं डालकर उस कमरे से बाहर निकला ।
पर तभी उसने जो उसने देखा वह देखकर पूरी तरह से ढंग रह गया बाहर उस घर के सभी लोग एक मरे हुए हालत में खड़े थे सभी का शरीर एक कंकाल जैसा था जिसमें बस थोडी ही जगह पर मांस था और उनका शरीर पूरी तरह से खोखला था। ऐसा लग रहा था जैसे वह सब मरे हुए थे। पर मरने के बाद भी उनमें जान थी । अमर उन्हें देख कर समझ चुका था कि ये सभी लोग अलग ही प्रकार की शक्तियां है जो उसे अब वहाँ से नही जाने देने वाले अमर ने अपना बैग उठाया और हिम्मत जुटा कर उन शैतानों की तरफ भागा और उन्हें अपने बैग से धकेल कर वहाँ से भागा और दरवाजे से निकल कर बाहर आ गया । अमर वहा से निकल कर बाहर आया और तभी उसका पैर बाहर बर्फ पर पड़ने की वजह से वही फिसल कर गिर गया । अमर ने उठने की कोशिश की पर उसके पैर मे चोट आ गई थी जिसकी वजह से वह उसे उठने मे बहुत मुश्किल हुई तभी अचानक से अमर की नजर सामने के कुछ लोगो पर पड़ी जो उसकी तरफ ही आ रहे थे । अमर उन्हें देख बिल्कुल सत्बंध हो गया उसे अपनी आखो पर विश्वास नहीं हुआ जब उसने देखा कि यहाँ सभी लोग एक शैतान और भुत्त प्रेत है । वह पूरा गांव ही मरा हुआ है और उस गांव में अमर ही एक ऐसा इंसान था जो जिवित था। अमर के होश उड़ चुके थे। उमर वैसी ही दर्द भरी हालत में उठा और भागना शुरू कर दिया सभी गांव के लोग अमर के पीछे भागने लगे अमर उन मरे हुए लोगो को देखकर बहुत डर चुका था उसकी समझ मे कुछ भी नहीं आ रहा था । अमर इतना डरा हुआ था कि वह बस किसी भी हालत में उस जगह से बाहर निकलना चाहता था। वह बस अपना सामान लेकर सीधी दिशा मे भाग रहा था ताकि वह उस गांव से बाहर निकल सके। कि तभी कुछ बच्चो का भुत्त उसके सामने आ गये। अमर की उन्हें देखते ही हालत खराब हो गई क्युकि उन बच्चों मे कुछ के सिर नहीं थे और उन सबका शरीर पूरी तरह से सड़ा हुआ था । तभी एक सिर कटे बच्चे ने अमर का नाम लेकर कहा "तुम कहा जा रहे हो अमर हमें छोड़ कर मत जाओ" ।
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अमर ने यह सुनकर एक ठंडी सांस भरी और दाई तरफ दौड कर भागा । पर जब अमर ने पीछे मुड़कर देखा तो उसने देखा कि लगभग सौ से ज्यादा प्रेत जैसे लोग उसके पीछे भाग रहे है जिसमें कई लोगो के पास उनका सिर नही है और कुछ लोग के पास सिर्फ सड़ा हुआ आधा शरीर है जिसमे उनकी कंकाल और हड्डियां साफ साफ दिखाई दे रही है । अमर जिस भी घर के आगे से गुजरता वहाँ पहले से पिशाच जैसे लोग खड़े हुए थे और अमर को घेरने की कोशिश करते पर अमर अपनी जान बचाने के लिए सब से बच कर भाग रहा था। मौत अमर के सिर पर नाच रही थी। और उस गांव में सभी लोग ही उसकी मौत थी । तभी एक भआवह शैतान ने अमर के कंधे पर हाथ रखा हाथ पड़ते ही अमर का शरीर सुन पड़ गया अमर का शरीर अचानक से पूरी तरह से हल्का हो गया अमर को ऐसा महसुस हुआ जैसे उसकी आत्मा ही शरीर से बाहर आ गई ।
अमर ने पीछे मुङ कर देखा एक बड़ा सा शैतान जो लगभग 8 फुट का था उसके सिर पर दो सींग थे उसका चेहरे पर छोटे छोटे गढ़ढे थे जिसमें से खुन बह रहा था उसकी आंखो की पुतलिया पूरी तरह से काली थी और उसका शरीर का मांस कई जगह से फटा हुआ था ।
अमर अब उसे बेसुध होकर कुछ पल देखता रहा तभी आस पास उस गांव के सभी लोगो ने एक घेरा बना लिया अमर ने उन सभी की तरफ देखा जो अजीब सी आवाजें निकाल कर चिल्ला रहे थे ।
अमर अब पूरी तरह से जान चुका था कि वह नरक के किसी गांव में फस गया है जहाँ पूरा गाव ही बुरी आत्माओं से भरा हुआ है अब उसे किसी भी तरह से वहा से निकलना है । तभी अमर ने अपना हाथ उठाया और अपने बैग को उस शैतान के हाथ पर जोर से मारा और भाग कर एक आग जलती हुई मशाल को सामने के घर से उठा लिया और सब को आग से जलाते हुए भागने लगा । पर पैर पर लगी चोट की वजह से वह तेज नहीं दौड पा रहा था। तभी वह एक बर्फ से ढ़की पेड़ के पीछे जाकर घुप गया। और छबराहट में वही घुप कर बैठ गया तभी उस गांव के सभी भुत प्रेत पिशाच वहा आये और उसे ढुढ़ने के लिए उस जगह से आगे चले गए । तभी वह लड़की अमर के सामने प्रक्रट हुई अमर उसे देखकर घबरा गया और बोला मुझे जाने दो मै वापस इस गांव में कभी नहीं आऊंगा । तभी वह लड़की अमर के पास बैठी और बोली तुम इस गांव से भाग जाओ यहाँ सभी लोग शैतान के लोग है तुम जिस घर में रुके थे शैतान उसी घर में रहता है पर अभी वह बहुत कमजोर है उसे तुम्हारी आत्मा चाहिए तुम्हारी आतमा को लेकर वह शक्तिशाली हो जाएगा । उसे जीने के लिए इसानी खुन चाहिए भाग जाओं भाग जाओं यहा से इस गाव से दुर चले जाओ । वरना वो तुम्हारी आत्मा को लेकर तुम्हे भी प्रेत बना देगा जैसे ही तुम इस गांव से बाहर निकल जाओगे वह शैतान तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा यहा से निकल कर तुम यहा से कुछ मील दूर एक बौद्ध मंदिर है वहां चले जाना ।
यह बोलकर वह लड़की गायब हो गई ।
अमर ने अब अपना मन बना लिया था कि उसे अब इस गाव से बाहर निकलना है । वह उन प्रेतो से घुपता हुआ धीरे धीरे अपने पैर के दर्द को सहते हुए आगे बढ़ रहा था। तभी उसके कंधे मे बहुत तेजी से दर्द शुरू हो गया उसने अपने कपड़े को हटा कर देखा उसे कंधे पर एक काला बड़ा सा घाव नजर आया जिसमे से हल्की हल्की खुन भी निकल रही थी । जिस जगह पर शैतान ने छुआ था शैतान के घुने भर से ही अमर का कंधा थोड़ा सड़ गया था। तभी अमर एक ढलान से फिसल गया और नीचे की तरफ गिरता चला गया फिसलने की वजह से अमर के शरीर पर काफी चोटे लग गई और अमर बुरी तरह से घायल हो गया तभी उसे अपनी तरफ फीर से कुछ लोग आते दिखे अमर फिर से खड़ा हुआ और भागने लगा जिस जगह पर अमर मोजूद था वहा से गांव की खत्म होने ओर शुरू होने की सीमा बस पचास मीटर ही थी अमर अपनी पूरी जान लगाकर भागा और सीमा तक पहुंच गया पर सीमा पार करने से पहले ही उसे एक चुड़ैल ने पकड लिया और अपनी नाखुन को अमर के पेट में चुभा दिया अमर बहुत तेज चीखा और जमीन पर लेट गया अमर दर्द से कराह रहा था।
और सभी भुत्त
प्रेत उसे देखकर नाच रहे थे और अजीब
अजीब आवाजें निकाल कर चिल्ला रहे
थे तभी अमर को कुछ पहाड़ी
ढोल ओर सहनाई की
आवाजें सुनाई पड़ी जो गांव के
अंदर से आ रही
थी । जिससे सुनकर
सभी भुत्त प्रेत चुड़ैल और पिशाच नाचने
लगे तभी उस चुडैल ने
अमर का हाथ पकड
कर घसीटने की कोशिश की
। अमर ने अपना दूसरा
हाथ से एक बड़े
से पत्थर को लिया और
उस चुडैल के हाथ पर
मारा हाथ पर पत्थर लगते
ही चुड़ैल नीचे झुकी तभी अमर ने दूसरी बार
उसके मुह पर जोरदर पत्थर
मारा पत्थर के प्रहार से
उस चुड़ैल का मुह टुट
गया । तभी अमर
ने अपना बैग उठाया और जोर से
भागा । सभी भुत
प्रेत भी उसके पीछे
भागे पर अमर अपनी
हिम्मत बांधकर इतनी तेज भागा था कि वह
सीमा कब पार गया
अमर को बिल्कुल भी
पता नही था।
अमर जब गांव की सीमा से बाहर पूरी तरह से जब बाहर आया तब उसने एक बार पीछे पलटकर देखा और रुक गया वो सभी भुत प्रेत पिशाच और चुडैल एक एक पत्थर के पास आकर खड़े थे और वहा पर खड़े होकर बुरी तरह से रो रहे थे जैसे कोई बेशकीमती चीज उन लोगो के हाथ से निकल गई हो तभी वह पुरा गांव वहा पत्थर के पास इक्कठा हो गया और और अमर को देखकर जोर जोर से भयानक और डरावनी आवाजें निकालने लगे तभी पीछे से वह शैतान आगे आया जो उस घर मे था जिसके बारे में लड़की ने बताया था उस शैतान को देखकर सभी लोग झुक गयें। और ढोल बाजे का बजना बंद हो गया ।
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compleate guide.
वह शैतान एक खुंखार राक्षस जैसा था जिसके सिर पर बारहसिंगा जैसे सींग थे उसकी आंखे बेताल की तरह लाल थी और उसका कद तकरीबन आठ फुट से ज्यादा था और उसके बड़े बड़े दांत जो मुह से बाहर आ रहे थे और उसका शरीर काले रंग का था जिसमे से खुन की धाराएं निकल रही थी वह अमर को सीमा से बाहर निकला देख बुरी तरह से चिल्लाने लगा उसे देखकर उसके अगल बगल के भुत पिशाच प्रेत और चुडैल पिशाचनी सब डर रहे थे । तभी अमर की नजर उस लड़की पर पड़ती हैं जो उसे सीमा से बाहर देखकर खुश थी। अमर के शरीर में अब बहुत दर्द हो रहा था उसके कंधे का घाव गहरा हो रहा था और पैर से भी नही चल पा रहा था फिर भी किसी तरह वह कुछ घंटो के बाद एक दूसरे गाव मे पहुंचा और वहा जा कर बेहोश हो गया । जब अमर की आंख खुली तो वह एक बौद्ध मठ मे था तथा उसके पूरे शरीर पर औषधी और लेप लगी हुई थी। उसने उठने की कोशिश की पर उसे एक बौद्ध साधु ने रोक दिया और आराम करने को कहा । अमर उस बौद्ध मठ मे कुछ दिन रहे तभी एक दिन एक बौद्ध भिक्षु ने अमर से पूछा कि तुम्हारी यह हालत कैसे हुई अमर ने उस साधु को सारा व्याख्या बताया पर अमर हैरान तब हुआ जब सभी बौद्ध भिक्षु ने उन्हे यह बताया कि वह जिस गांव मे गया था वैसा गांव इस पूरे हिमालय मे नही है ।
पूरी
तरह से ठीक होने
के बाद अमर वापस अपने घर छत्तीसगढ़ आ
गया पर अभी भी
अमर को कभी कभी
उस गांव के सपने आते
हैं जिससे देखकर अमर की रूह कांप
जाती है ।
आज
की स्टोरी यही समाप्त होती है इस प्रकार
की भुतिया स्टोरियां इस साइट पर
आती रहेगी । कृपया हमे
स्पोर्ट करने के बाकी की
स्टोरियो को भी पढ़े
और आनंद ले । और
अगर आपके साथ भी कोई ऐसी
घटना हुई है तो हमे
जरूर भेजे हम उसे जरूर पब्लिस
करेंगे । धन्यवाद ।
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